Thursday, March 25, 2010

अभिव्यक्ति ( voice of heart)

न जाने क्यों , आज मन इतरा रहा है
शायद दिल  कुछ कहना चाह रहा है
दिल की बांसुरी ,मन में थिरकन कर रही है
भावनओं का समंदर हिलोरें ले रहा हैं
जिह्वा व्याकुल है ,शब्द ढूंढ रही है
ग्रीष्म में भी बसंत सा एहसास हो रहा है
आँखों के आंसू दिल पर गिर रहे हैं
न जाने क्यों , आज मन इतरा रहा है
शायद दिल  कुछ कहना चाह रहा है
 होंठो पर प्यार की गुदगदी छा रही है
 मन  रंगों की होली खेल रहा है
दिल प्यार के रंग में सराबोर है
प्रकृति के सारे रंगों से
प्यार के झरने फूंट रहे हैं
इस झरने में डूबा जा रहा हूँ
इस डूबने में  भी सुखद एहसास है
मैं  अकिंचन  एक अनजानी -सी
भावना को  शब्द दे रहा हूँ
न जाने क्यों , आज मन इतरा रहा है
शायद दिल  कुछ कहना चाह रहा है