( छद्मता(chhadmta) = छदमता का मतलब ,रंग बदलने वाला ब्यवहार जैसे गिरगिट रंग बदलता है ,आज का इन्सान हिपोक्रेट है -कहता कुछ है करता कुछ और है , अपने पर मुशीबत आये तो दुनिया गलत लेकिन खुद उसी दुनियां में हम अपने स्वार्थ के कारण दूसरों को परेशान करने से नहीं चूकते, हमारे साथ कोई बेमानी करे तो वो गलत ,लेकिन हम दूसरों के साथ करें तो वो जीने का तरीका )
छद्मता की बात है ,
हर आदमी ,आदमी पर घात है ,
झिधर चले ,झिधर मुड़े,
हर मोड़ पर यही दिखे ,
आदमी ,आदमी से परेसान है ,
प्रगति की आड़ में,
स्वतंत्रता के नाम पर
धर्म की तकरार है ,
हर मन में एक आतंक है,
स्वार्थ -धन ही लक्ष्य है ,
मैं बढूँ ,तुम गिरो ,
तुम गिरो ,मैं बढूँ
..............आज की छद्मता की यही चाल है,
हर आदमी ,आदमी पर घात है ,
प्रेम का सन्नाटा ,नफ़रत की आबादी ,
कैसा यें जीवन ,कैसी यें बर्बादी ,
आतंक के प्रहार से ,
चीख तो गूँज उठी ,
नफ़रत की आबादी को दर्द भी हुआ
"हम एक हैं -हम एक हैं " जोश भी दिखा ,
फिर छद्मता की बात है ,
पूरा युवा भारत एक कदम बढ़ने में परेशान है ,
जोश का आडम्बर है ,
वही नफ़रत की आबादी है ,
प्रगति की आड़ में ,
प्रेम और एकता के कब्र पर ,
आतंकवाद का राज है.