अनजान सी डगर पर ,अनजाने हैं सफ़र पर
कहता है कोई आकर ,एक हाथ जो बढाकर
मन की किलकारियों को, प्यार के दामन को
वादों से भरकर
साथ जो चले हैं ,साथिया बनकर
हर वादा हम निभायेंगे दोस्ती का दामन पकड़कर
हँसतें हैं दम भरकर ,रोते हैं साथ मिलकर
अपना पराया भूलकर, मरतें हैं एक दूजे पर
कहतें हैं दोस्ती है ,दोस्ती का गान कर-कर
अनजान सी डगर पर ,अनजाने हैं सफ़र पर
कहता है कोई आकर ,एक हाथ जो बढाकर
जीवन की धूप-छाँव को हरातें हैं, साथ मिलकर
दोस्ती की गुदगुदी वो हंसाती है आज भी रातभर
सभांला हैं एक-दूसरे को, मुसीबतों में आगे बढ़कर
पनपता है कोई रिश्ता दोस्ती का नाम लेकर
रिश्ता नहीं ,यह आस्था हैं ,जन्म लेती नहीं ख़ूनी रिश्तों से
विशवास की मिशाल जो ,पाया है जिसे मैंने
दोस्ती की गंगा में हाथ धोकर
अनजान सी डगर पर ,अनजाने हैं सफ़र पर
कहता है कोई आकर ,एक हाथ जो बढाकर
i suppose the hand u r talking of is the same hand which u saw in ur Dream.....hehehe.....njoy dost...nice1
ReplyDeletesahi hai baba lage raho ........
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