Sunday, September 13, 2009

आँखें

ये आँखें हसांती हैं ,
ये आँखें रुलाती हैं ,
ये आँखें जिलाती हैं ,
                               ये आँखें क्या कर सकती हैं,
                               ये आँखें बता नहीं सकती हैं ..........
ये आँखें टूटे हुए दिलों को जोड़ती हैं ,
अनजाने से चेहरों को पास ला सकती हैं ,
ये आँखें तड़पाती हैं,
तड़पते हुए रूह के अन्दर झांक जाती हैं,
                                 ये आँखें क्या कर सकती हैं,
                                 ये आँखें बता नहीं सकती हैं ..........
ये आँखें पुचकारती हैं,
न चाहते हुए भी पास बुलाती हैं ,
आँखें बंद कर लो तो ,
सपनों में भी चली आती हैं ............
                              ये आँखें क्या कर सकती हैं,
                              ये आँखें बता नहीं सकती हैं ......
ये आँखें सफ़ेद सी चादर पर ,काली सी गोटी हैं ,
ये गोटी किधर जा सकती हैं,
ये चादर बता नही सकती हैं.
                            ये आँखें क्या कर सकती हैं,
                            ये आँखें बता नहीं सकती हैं ....
ये आँखें ममता करती  हैं ,
ये आँखें प्यार  करती  हैं,
और जरूरत पड़े तो विध्वंश कर सकती हैं ,
ये आंखों की भाषा है,
जो आंखों ही आंखों में बात कराती हैं,

ये आँखें क्या कर सकती हैं,
 ये आँखें बता नहीं सकती हैं ....

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